Talk:Feminism and Folklore 2023/hi
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कहानी संघर्ष
भावना सुंदर सौम्य शांत स्वभाव की लड़की थी आइए समाज व हालात दोनों मिलकर भावना को नोच नोच कर खाते हैं सुनते भावना की कहानी कम उम्र में शादी हो जाने से खेलना कूदना बचपन तो यूं ही निकल चुका था भावना को जब भी देखती तो ऐसा लगता की लाल साड़ी पहनकर बाजार में चलने वाली कोई गुड़िया हो आंखों में हजारों सपने लिए भावना अपने पति के साथ साथ मेरे पूरे किये आज भावना ने पहली बार पति को देखा जो कि पलकों में जो भावना ने अपने पति का चेहरा सोचा था खुली आंखों से क्या दिखा भावना शर्म के मारे आंखें झुकने की वजह भावना की आंखों से आंसू बहने लगे आज तो भावना की सुहागरात थी उसकी आंखों में तो प्यार होना था पर आंसू क्यों थे जो भावना ने सोचा ही नहीं था कि मेरा परिवार वाले मेरे लिए ऐसा लड़का देखा जो पागल है उसे अपना ही नहीं ख्याल रख सकता तो मेरा क्या रख सकेगा सुबह हुई भावना उठकर नहा कर अपनी सास के पांव छुए बोले मां आपका बेटा कहां है मेरे कहने का मतलब मेरा पति सास बोली क्या बताऊं बेटी मेरा बेटा तो पागल है घर से भाग जाता है कई दिनों या महीनों तक नहीं आता भावना मेरे बेटे की चिंता मत कर मैं तेरा ख्याल रखने वाली तेरी सासु मां हु ना भावना ने रोते हुए कहा मां आपका बेटा पागल है आपने मुझे बताया नहीं सास मुस्कुराकर बोली मैं तुम्हें कहती तो क्या तुम शादी करती या तेरे परिवार वाले मेरी पागल बेटे से शादी करवाते और मुझे तेरे जैसी बहू कहां से मिलती भावना तुम्हें पति से क्या करना है मैं तुम्हें बहुत पैसा दूंगी गहने दूंगी और बड़ा घर तेरा है और क्या चाहिए मेरा बेटा पागल है तो क्या औरतों के लिए धन होना चाहिए पूरा जीवन आराम से व्यतीत करेगी दूसरे दिन भावना अपने मां बाप के घर गई उन्हें सारी बातें बताई कि पिताजी हमारे साथ धोखा किया गया है मां-बाप दोनों एक साथ बोले यह सच है या धोखा अब यही तेरा बागी लिखा है उसी घर में तुम्हें पूरी उम्र बितानी है आज भावना को ऐसा लगा जैसे मैं लड़की नहीं कोई गुड़िया हूं एक शादी के नाम पर भेज दिया दूसरे ने शादी के नाम पर खरीद लिया भावना का मन जो प्यार से भरा हुआ था भावना ने अपने लिए जो लड़का देखा था उसे बुलाकर पागल के पीछे जीना था यह सब भावना के लिए क्या आसान था भावना ने पूरे परिवार वालों से मदद मांगी पर कोई आगे नहीं आया हंसते रोते हुए भावना ने उसी घर में 1 साल बिता दिया भावना के पेट में एक अंश पल रहा था भावना यह सोच कर परेशान थी कि कहीं पागल बाप का बेटा तो पागल नहीं होगा पर मां और सहेलियों ने समझाया कि कोई जरूरी नहीं है कि जैसा बाप है वैसा बेटा भी होगा भावना ने भी सोचा कि शायद मेरा बच्चा मेरे जीने का सहारा बनेगा उसी के सहारे मैं अपनी पूरी उम्र बिता दूंगी 9 महीने बाद भावना ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया आज भावना बहुत खुश थी मेरा बेटा इतना सुंदर हुआ है 1 महीने तक बेटे का साथ आगे क्या होने वाला है भावना नहीं जानती दूसरे दिन भावना के बेटे का नाम करण था उसी रात बच्चे को बहुत तेज बुखार आया और बच्चा बुखार में मर गया मेरे लिए लिखना आसान है पर भावना पर क्या बीती है उसे शब्दों में लिखना मुश्किल है इसी तरह भावना का बच्चा जन्म लेता और मर जाता आंखों के सामने 3 बच्चे मर गए चौथी बार गर्भ धारण किया तंत्र मंत्र और डॉक्टर की सलाह से बच्चा जन्म हुआ 2 साल बच्चा ठीक चल रहा था एक दिन भावना का बेटा बेहोश होकर गिर पड़ा सारे रिश्तेदार मिलकर अस्पताल लेकर गए तो पता चला बच्चा नार्मल नहीं है उसे मिर्गी का दौरा आता है पति मिला तो पागल एक के बाद एक बच्चा मरता गया इतने जतन के बाद बच्चा पैदा हुआ वह भी अपाहिज अब तो भावना का भगवान पर से भरोसा उठ गया छोटी सी उम्र में इतनी दुख आज भावना अपनी सास को गालियां दे रही थी कि इसी की वजह से मुझे इतना सारा दुख सहना पड़ा अपने पागल बेटे से मेरी शादी क्योंकि जब रो-रोकर सारी भड़ास भावना ने निकाल दे तो धीरे-धीरे भावना भी समझ चुकी थी की यही मेरी किस्मत है शायद मेरी बागी में यही लिखा है कुछ दिनों बाद सास भी बीमार पड़ गई भावना ने इधर उधर से पैसे मांग कर इलाज करवाया लेकिन सास ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया भावना का एक ही तो सहारा था वह भी मर गई आज तक भावना ने हालात से सामना किया था पर अब तो आदमियों की गंदी नजर से भी सामना करना पड़ा भावना अपने घर में भी सुरक्षित नहीं थी आज भावना इमानदारी की रोटी कमाने के लिए जहां भी जाती वही लोग उसकी इज्जत का सौदा करते सास के मरने के बाद सारा धन खेत उसके ससुराल वाले खा गए भावना ने भी अपनी शर्म छोड़कर लोगों का सामना किया अपने ही खेतों में मजदूर बनकर काम करने लगी अपने और बीमार बेटे का इलाज व रोज की दवाइयां घर खर्च खुद निकालने लगी कई साल भावना ने कमर कस कर खूब मेहनत की देखते देखते अपनी सास का जो पुराना घर था वह दोबारा बना लिया और पैसे भी जमा कर लिए अब तो भावना जवानी से बुढ़ापे की तरफ बढ़ने लगी शरीर अंदर से जवाब दे रहा था कि मैं अब और बोझ नहीं उठा सकता मुझे अब आराम चाहिए अपने बेटे को मिर्गी का दौरा आता देख उसे तड़पता देखते तो अपने कमजोर शरीर को बुलाकर फिर से हिम्मत जुटा थी और दूसरे दिन मजदूरी पर निकल जाते दिन भर काम कर शाम को घर चली आती दूसरे दिन भावना काम के लिए खेत जा रही थी कि रास्ते में पत्थर पर बेहोश होकर गिर पड़ी सर से बहुत खून निकलने से भावना की वहीं मौत हो गई आज तो भावना ने सभी दुखों पर जीत हासिल कर ली कमजोर शरीर भावना की आत्मा को भी मोक्ष प्राप्त हो गया समाज व हालात से लड़ती भावना अब आराम से सो चुकी है
कहानी का सार
👉 मां बाप शादी से पहले अपनी बेटी का ख्याल रखते हैं उसकी हर जरूरत को पूरा करते हैं लेकिन एक रात और सात फेरों के बाद इतनी दूर हो जाती है कि मां-बाप उसे भाग्य का नाम देकर मरने के लिए छोड़ देते हैं। (क्या भावना के प्रतीक मां-बाप की कोई जिम्मेदारी नहीं थी) स्वरचिता ✍️ उमा सांखला मोबाइल नंबर 8094765165, Email ID:- sankhlauma@gmail.com
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